ख़बरों में बराबर जारी है युद्ध
यहाँ गिरे बम,
वहाँ चलीं बँदूकें,
इतने हुए घायल,
कितने ही चल बसे,
अख़बारों के पन्नों में रहते हैं
रोते हुए बच्चे,
सिर पटकतीं औरतें,
बहस करते राजनेता,
प्रदर्शन करते मानवतावादी,
सब को धौंसियाते बमधारी,
दुनिया डरी सहमी कुछ देर,
घबरायी -चिल्लायी कुछ देर,
बहुत बुरा हुआ.. ..
कह मातम में रही कुछ देर
फिर फ़िक्रों में रोटी-पानी की
सहज हो आई
बीच में पसरा था युद्ध जो
हाशिए पर जा बसा,
पढ़ लिया, हो गया ।
ख़बरों में अब भी
बराबर जारी है युद्ध ।।