तुम्हारा दुख मेरा दुख

23-05-2017

तुम्हारा दुख मेरा दुख

डॉ. शैलजा सक्सेना

तुम्हारा दुख मेरा दुख को छू कर बोला
आओ हम तुम बाँह पकड़े
सुखों की झील की तरफ़ चलें
वहाँ कल्पना की नरम घास पर
सपनों के फूलों के बीच
मैं भूल जाऊँगा स्वयं को
तुम भूल जाना स्वयं को।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

लघुकथा
साहित्यिक आलेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
कविता
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक चर्चा
नज़्म
कहानी
कविता - हाइकु
कविता-मुक्तक
स्मृति लेख
विडियो
ऑडियो