तपो, अपनी आँच में तपो कुछ देर, होंठों की अँजुरी से जीवन रस चखो- बैठो...
कुछ देर अपने सँग अपनी आँच से घिरे, अपनी प्यास से पिरे, अपनी आस से घिरे, बैठो...
ताकि तुम्हें कल यह न लगे साँस भर तुम यहाँ जी न सके।।