ये चुभन है इश्क़ की इस से ज़ियादा कुछ नहीं

15-08-2023

ये चुभन है इश्क़ की इस से ज़ियादा कुछ नहीं

इरफ़ान अलाउद्दीन (अंक: 235, अगस्त द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

बहरे रमल मुसम्मन महजूफ़ 
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फाइलुन 
 
2122      2122      2122      212
 
ये चुभन है इश्क़ की इस से ज़ियादा कुछ नहीं 
ख़्वाब टूटे है मिरे उस से फ़ुतादा कुछ नहीं
 
डस रहे है साँप मुझ को बेवफ़ाई के यहाँ 
ज़हर का वैसे यहाँ पर अब इफ़ादा कुछ नहीं
 
किरची किरची कर के टूटी ख़्वाहिशें मेरी यहाँ
असर मौसम का है उन का अब इरादा कुछ नहीं
 
अपने अपने फ़ैसले है अपनी अपनी तलब है 
चुन लिया है ग़म तिरा मैंने कुशादा कुछ नहीं
 
फ़ुतादा=गिरा हुआ पड़ा हुआ; इफ़ादा=लाभ फ़ायदा; किरची-किरच=टुकड़ा, रेज़ा; इरादा=संकल्प; कुशादा=खुला हुआ, फैला हुआ 

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