छोड़ते क्यों जा रहे अहबाब अपने

15-09-2023

छोड़ते क्यों जा रहे अहबाब अपने

इरफ़ान अलाउद्दीन (अंक: 237, सितम्बर द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

बहरे रमल मुसद्दस सालिम 
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
 
2122      2122     2122
 
छोड़ते  क्यों  जा रहे अहबाब अपने 
सिमटता हूँ मैं यहाँ पर ख़्वाब अपने
 
सपने  मैं  भी  देखता  हूँ  थोड़े थोड़े 
पर क़िताबों से फ़टे क्यो बाब अपने
 
ख़ुद-ग़रज़  हैं  लोग सारे इस जहाँ में 
ये  ज़माना   चाहता   है  ख़ाब अपने
 
शाम  होते  ही  यहाँ  आ  जाता हूँ मैं
मय-क़शी  में  ही  है   अस्बाब  अपने
 
अहबाब=दोस्त,मित्र; बाब=अध्याय, पुस्तक का भाग; ख़ाब=रेशमी कपड़ा; अस्बाब=सामान, चीज़, वस्तु

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