चार पैसे जेब में हैं ख़्वाब मेरे ग़ैब में है
इरफ़ान अलाउद्दीनबहरे रमल मुसम्मन सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122 2122 2122
चार पैसे जेब में हैं ख़्वाब मेरे ग़ैब में है
बेच दो सारा जहाँ तुम जान मेरी रैब में है
इश्क़ मेरे लिए नहीं है और ना मैं इश्क़ का हूँ
ये अक़ीदा है मिरा जाँ प्यार मेरा बैब में है
आँसुओं से कुछ नहीं होगा यहाँ पर असर समझो
क्यों परेशाँ फिर रही हो चाँद मेरा ऐब में है
चाहता हूँ मैं कमाना और भी पैसे अभी जाँ
छोड़ दो मुझ को यहीं पर अक़्ल मेरी ग़ैब में है
जो कमाया वो उड़ाया शान से मैंने यहीं पर
इक खिलौना मैं बना हूँ ज़ख्म मेरे शैब में है
ग़ैब=अदृश्य, अनुपस्थित, दिखाई न देने वाली चीज़, परोक्ष; रैब=संदेह, आशंका, शक, शुबहा, दुर्घटना, हादिसा; अक़ीदा=विश्वास, यक़ीन, धार्मिक विश्वास; बैब=दूरी पर, बहुत दूर; ऐब=पाप, गुनाह, त्रुटि, भूल, अशुद्धि, ग़लती, खोट, दोष, बुराई; शैब=बुढ़ापा, वृद्धावस्था, बालों की सफेदी
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- ग़ज़ल
-
- आप बीती
- आबादियों से दूर जाना है मुझे
- आरज़ू इश्क़ की अब न है मुझे
- इंसान को इंसान से इंसान कर
- इश्क़ तेरा दर्द-ओ-ग़म दे गया
- इश्क़ में मैंने जफ़ा की
- काम का है इश्क़ मेरे
- कौन अच्छा है ज़माने में बता
- चाँद-सूरज में शरारत होती है
- चार पैसे जेब में हैं ख़्वाब मेरे ग़ैब में है
- चाहता तू जो है वो मैं अब नहीं
- छोटे छोटे पौधे होते हैं यहाँ
- छोड़ते क्यों जा रहे अहबाब अपने
- टूटी कश्ती को किनारा कौन देगा
- थक गया मैं
- थक गया हूँ ज़िन्दगी मैं भागते हुए
- दर्द-ए-दिल कौन जाने
- दिल नहीं है जाँ नहीं है पास में
- दो किताबें हाथ में है
- दोष किस का गुनाह किस का है
- नूर-ए-ख़ुदा
- प्यार में सुख कभी नहीं मिलता
- बात करने को करेंगे और कहने को कहेंगे
- बे-वफ़ा हो या बा-वफ़ा हो तुम
- बेवजह तो बात मैं करता नहीं
- बेवफ़ा है वो वफ़ा कैसे करूँ
- बेवफ़ाई की अदा जाती नहीं
- बेवफ़ाओं से मुहब्बत
- बोतलें ख़ाली पड़ी हैं घर में क्यों
- मदरसे में ये पढ़ा जाता नहीं
- मर्द
- मस'अला तो है अना का
- मसअले मेरे सभी हल हो गए
- मस्ख़रों ने भी मज़े मेरे लिए
- मिली भगत सरकार से है
- मैं इश्क़ का परस्तार हूँ
- मैं उसे यूँ ही मिला था कारवाँ में
- मैं पिघलता जा रहा हूँ अक्स से
- मैं बचा इश्क़ के अज़ाबों से
- मैं मुहब्बत को हवस क्यों ना कहूँ
- मैं फ़रेबी हूँ जहाँ का
- ये चुभन है इश्क़ की इस से ज़ियादा कुछ नहीं
- सर्द मौसम में मैं तन्हा रह गया
- सोया हूँ मैं मरा नही हूँ मैं
- हसरतों के इस जहाँ में मैं कहाँ हूँ और क्या हूँ
- हुस्न क्या है रूह के आगे बता
- हैं नहीं मगर वो समझते हैं
- ज़िंदगी
- नज़्म
- विडियो
-
- ऑडियो
-