मैं पिघलता जा रहा हूँ अक्स से

15-12-2022

मैं पिघलता जा रहा हूँ अक्स से

इरफ़ान अलाउद्दीन (अंक: 219, दिसंबर द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

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मैं पिघलता जा रहा हूँ अक्स से
तहनियत वो दे रहे हैं रक़्स से
 
देखता हूँ मैं उसे जब भी कभी
मुस्कुराती हैं बड़े ही हब्स से
 
बैठ जाता हूँ सजा कर बज़्म मैं
क्या करूँ तारीफ़ उस की लम्स से
 
खींचता है इश्क़ उसका यूँ मुझे 
दूर हो जाता हु अपने अक्स से
 
तहनियत=शुभ समाचार, बधाई; रक़्स=नृत्य; हब्स=घुटन; लम्स=भाव, संबंध

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