इंसान को इंसान से इंसान कर

01-02-2024

इंसान को इंसान से इंसान कर

इरफ़ान अलाउद्दीन (अंक: 246, फरवरी प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
 
2212        2212        2212 
 
इंसान   को  इंसान  से   इंसान  कर 
मुश्किल भरी है ज़िंदगी आसान कर
 
ये  रस्म-ए-दुनियां है तू नुक़सान कर 
मिट्टी हो या सोना यहाँ सब दान कर
 
तू  कौन  है  मैं  कौन  हूँ  इतना बता 
हम दोनों ही  इंसान है पहचान कर 
 
ख़ाली हो जाएगा महल भी एक दिन
महलों की राणी तू मिरा गुणगान कर
 
कितने सितम ढाए तुने मुझ पर ख़ुदा 
तू  भी क़भी इस बात का ऐलान कर 
 
मैंने  सुना  है  मोजिज़ा  करता  है तू 
सो  मोज़िज़े  से ही मुझे  सुल्तान कर

 

मोजिज़ा= दैवी चमत्कार

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