हैं नहीं मगर वो समझते हैं

15-07-2023

हैं नहीं मगर वो समझते हैं

इरफ़ान अलाउद्दीन (अंक: 233, जुलाई द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

 

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मखबून 
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
 
2122      1212     22
 
हैं नहीं मगर वो समझते हैं 
लोग ख़ुद को ख़ुदा समझते हैं
 
मैंने देखा हैं आँखों से अपनी 
लोग ख़ुद को अदा समझते हैं 
 
फ़िक्र ख़ुद की ज़रा नहीं उन्हें 
लोग ख़ुद को सदा समझते हैं
 
बातें करते बड़ी बड़ी हँस के 
और ख़ुद को दुआ समझते हैं
 
क्या कहूँ मैं मुझे बताओ अब
लोग ख़ुद को जज़ा समझते हैं

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