जा-ब-जा जू-ब-जू

01-07-2023

जा-ब-जा जू-ब-जू

इरफ़ान अलाउद्दीन (अंक: 232, जुलाई प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
 
२१२      २१२      २१२      २१२ 
 
जा-ब-जा जू-ब-जू तू ही तू जुस्तजू 
मैं जहाँ भी रहूँ तू रहे रू-ब-रू 
 
ये ज़मी आसमाँ ये सितारे जहाँ 
ढूँढ़ता हूँ तुझे खो गई तू कहाँ
 
राह में भी निशाँ तेरे मिलते नहीं
इश्क़ के फूल भी अब तो खिलते नहीं
 
हो सहर किस तरह रात कटती नहीं 
ख़बर तेरे आने की तो मिलती नहीं
 
जा-ब-जा=जगह-जगह पर, हर जगह, हर स्थान और हर अवसर पर; 
जू-ब-जू=समग्र, संपूर्ण 

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