वो मुझमें मैं उसमें

01-10-2022

वो मुझमें मैं उसमें

हिमानी शर्मा (अंक: 214, अक्टूबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

मैं जानती नहीं हूँ क्या था उसमें, 
लगने लगा बस अपना मुझमें, 
वो आया कुछ तो इस तरह लेकिन, 
मैं बसने लगी कुछ उसमें कुछ मुझमें। 
  
मैंने बाँधा नहीं उसे मेरे आँचल में, 
बस बँध गई हूँ उसके हर पल में, 
वो हँसता है जब जब, मैं खिलती हूँ ख़ुद में, 
अब आँखें बस ठहरें उसके ही अक्स में।
  
मैं रहने लगी हूँ कुछ उसमें कुछ मुझमें, 
और कहने लगी हूँ वो बसता है मुझमें, 
कुछ पल ही बचे हैं बस उनके उस पल में, 
फिर कहेंगे सब कि वो मुझमें मैं उसमें। 
  
मैं जानती नहीं हूँ क्या था उसमें, 
लगने लगा बस अपना मुझमें। 

2 टिप्पणियाँ

  • 8 Oct, 2022 08:25 AM

    Beautifully written ... don't know how to express through words ...

  • 6 Oct, 2022 06:38 PM

    So beautifully written. The rhyming is so well penned.

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