ढंग

हिमानी शर्मा (अंक: 236, सितम्बर प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

एक नायाब ढंग हूँ मैं, 
कभी चमक हूँ रंगों में, 
कभी बेरंग हूँ मैं, 
कभी समझ हूँ ज़माने की, 
कभी बेढंग हूँ मैं, 
मन में हो रहा 
एक हुड़दंग हूँ मैं। 
कभी सुलझ हूँ बातों में, 
कभी एक व्यंग्य हूँ मैं, 
कभी चहक, तो कभी 
उठ रही उमंग हूँ मैं, 
ख़ुद से हो रही 
मानो जंग हूँ मैं। 
कभी एक छुपी हँसी में, 
कभी तूफ़ानों में भंग हूँ मैं
एक चेहरे की उदासी में, 
एक नई तरंग हूँ मैं, 
हर दिन होता मानो 
एक प्रसंग हूँ मैं। 
एक नायाब ढंग हूँ मैं, 
कभी चमक हूँ रंगों में, 
कभी बेरंग हूँ मैं। 

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