एक सपना
हिमानी शर्मा
एक रास्ता नहीं, वो मंज़िल की तरह है,
उस पर चलो तो लगे, कुछ तो हासिल किया है,
एक ऐसा सफ़र, जिसे हर पल जिया है,
चलूँ कुछ रुक रुक कर ये वादा किया है।
सफ़र है ये सपनों का, कोई कहानी नहीं है,
इसे पाने की चाहत बस दिखाई नहीं है,
हुकूमत नहीं, दिलों पर राज किया है,
जब ख़ूबी को अपनी, पहचान लिया है।
कब फ़ितरत में कभी कुछ नायाब किया है,
बस फ़ुरसत में ख़ुद को आयाम दिया है,
थोड़ा ठहराव वक़्त को यूँ कुछ दिया है,
उसने पूछा मुझे क्यूँ ऐसे तन्हा किया है।
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