सफ़र
हिमानी शर्मा
एक सफ़र जो सफ़र से शुरू हुआ
उस सफ़र के सफ़र का दिन है आज
एक सफ़र जो ठहर के शुरू हुआ
उस सफ़र के सफ़र का दिन है आज
मैंने जाना नहीं और माना नहीं,
मेरी सोच का तब था ठिकाना नहीं
जब मुड़कर रुकी उस रास्ते फिर मैं,
ये प्यार वहीं से शुरू हुआ
मेरे सफ़र के सफ़र का दिन है आज
बताया उसे कि चाहत थी मुझे भी
और जताया उसे कि है आहट उसे भी
इज़हार ये वहीं से शुरू हुआ
उसके सफ़र के सफ़र का दिन है आज
खोए थे जहाँ पर फिर मिले हम वहीं
जोड़े कुछ सपने मिलकर हमने कई
विश्वास ये वहीं से शुरू हुआ
हमारे सफ़र के सफ़र का दिन है आज
एक सफ़र जो सफ़र से शुरू हुआ
उस सफ़र के सफ़र का दिन है आज
हाँ माना भी मैंने और जाना भी कि
इस सफ़र के सफ़र का दिन है आज
1 टिप्पणियाँ
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बेहद सुंदर लेखन✨
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