तुम्हारे लिए . . . 

01-07-2024

तुम्हारे लिए . . . 

मनोज शाह 'मानस' (अंक: 256, जुलाई प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

मालूम है . . .? 
तुम्हें याद है . . .? 
मैंने पूछा था
किसी दिन तुमसे
प्रेम की परिभाषा
सम्बन्ध का निकासा
मन की उलझन
दोधार में अटकी
आँखों की तड़पन! 
 
समय कितना हुआ? 
मालूम है . . .?
ख़ैर छोड़ो . . .! 
 
लेकिन . . .
किसी दिन तुम
प्रेम मंथन करोगे
इन प्रश्नों पर . . .! 
 
उस वक़्त . . . 
ढूँढ़ना स्वयं के भीतर
मन के भीतर
आँखों के भीतर . . .! 
 
मैं वहीं कहीं
सुस्ताते हुए मिलूँगा
तुम्हारे लिए
जवाब लेकर
जवाब देने के लिए . . .!! 

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