थोड़ी सी तो राहत दे दो . . . 

15-06-2022

थोड़ी सी तो राहत दे दो . . . 

मनोज शाह 'मानस' (अंक: 207, जून द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

बिना दस्तक आ धमकते हो 
कुछ न कुछ तो आहट दे दो। 
विनाश प्रलय आपदाएँ गर्मी 
थोड़ी सी तो राहत दे दो॥
 
गर्मी 
बेशुमार गर्मी 
तू रब तेरी मर्ज़ी 
विपदाएँ महामारी बेबसी . . .! 
 
जीवन माँगे . . . मृत्यु की फिरौती, 
जीने की कुछ सुगबुगाहट दे दो। 
 
कंप 
भूकंप 
हिला स्तंभ 
हुआ जीवन अचंभा . . .! 
 
बार बार तौल कर्म कसौटी, 
फिर से वो मुस्कुराहट तो दो। 
 
उम्फ़ान
लाया तूफ़ान 
काला हुआ आसमान 
खो दिए अपनी अपनी अरमान . . .! 
 
अब आसान नहीं दो जून की रोटी, 
हे सरकार! कहाँ है राहत!! दे दो। 
 
तेरे मेरे में कब तक पीसते रहेंगे? 
थोड़ी सी तो राहत दे दो . . . . . .॥ 

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