प्रेयसी की याद

15-12-2021

प्रेयसी की याद

मनोज शाह 'मानस' (अंक: 195, दिसंबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

गगन में चाँद आया, 
प्रेयसी की याद लाया! 
गगन में चाँद आया, 
प्रेयसी की याद लाया!! 
 
कैसे भूल जाऊँ वह मीठे मीठे पल। 
कहती थी वो पर्वत के उस पार चल॥ 
 
शबनम की बूँदों से धरती मेरी जैसे मोती। 
पूर्व जन्म का प्यार जैसे  दीपक ज्योति॥ 
 
इस मन में उस मन की, 
एक नशीला माद लाया! 
गगन में चाँद आया, 
प्रेयसी की याद लाया!! 
 
घर में सब ठीक ठाक सा था। 
मेरा मन ही क्यों फीका सा था॥ 
 
नीरस जीवन में आज, 
कैसा अजीब स्वाद लाया! 
गगन में चाँद आया, 
प्रेयसी की याद लाया!! 

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