कर्म और भाग्य . . .

01-02-2022

कर्म और भाग्य . . .

मनोज शाह 'मानस' (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

बहुत सारे लोग . . .
इस भ्रम में जी रहे हैं। 
कर्म और भाग्य को 
दो समझकर जी रहे हैं॥
 
कभी कर्म के संशय में 
कभी भाग्य के संशय में
कहते हैं . . .
कर्म किया नहीं . . .! 
भाग्य ने साथ दिया नहीं . . .!! 
 
कर्म और भाग्य को 
अलग अलग समझते हैं . . . 
जबकि; वास्तव में . . .
कर्म और भाग्य एक ही हैं। 
 
कर्म से भाग्य बनता है . . .
और भाग्य से कर्म मिलता है . . .!!

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