प्रेम परिधि

15-09-2020

प्रेम परिधि

आलोक कौशिक (अंक: 164, सितम्बर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

बिंदु और रेखा में परस्पर आकर्षण हुआ 
तत्पश्चात् आकर्षण प्रेम में परिणत 
धीरे-धीरे रेखा की लंबाई बढ़ती गई 
और वह वृत्त में रूपांतरित हो गयी 
उसने अपनी परिधि में बिंदु को घेर लिया 
 
अब वह बिंदु उस वृत्त को ही 
संपूर्ण संसार समझने लगा 
क्योंकि उसकी दृष्टि 
प्रेम परिधि से परे देख पाने में 
असमर्थ हो गई थी 
 
कुछ समय बाद 
सहसा एक दिन 
वृत की परिधि टूटकर 
रेखा में रूपांतरित हो गई 
और वह बिंदु विलुप्त 

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