भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम—अंग्रेज़ों के अत्याचारों से तंग आकर भारत में एक आन्दोलन शुरू हुआ जो १८५७ के गदर के नाम से प्रचलित हुआ। दिल्ली और मेरठ बड़ा सैनिक अड्डा होने के कारण वहाँ आन्दोलन की गतिविधियाँ बहुत ज़ोर पकड़ रहीं थीं। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। मेरठ में क़रीब २३५७ भारतीय सैनिक और २०३८ ब्रिटेन के सिपाही थे। पूरे मेरठ में अशान्ति का वातावरण था। बाज़ार में विद्रोह प्रदर्शन और आगजनी की घटनाएँ हो रही थीं। ”अँग्रेज़ों भारत छोड़ो“की भावना ने भारतीयों के मन में स्थान बना रखा था। सामान्य व्यक्तियों को घरों से निकलने की अनुमति नहीं थी। अनेकों घर बर्बाद हो रहे थे। सिपाहियों की पत्नियाँ अपनी चूड़ियाँ तोड़ रही थीं। अनेक घरों में मातम छाया हुआ था। बालकों और औरतों को मौत के घाट उतारा जा रहा था। घर-घर में बैठक हो रही थीं। समय समय पर कर्फ़्यू लग जाता था। कभी… आगे पढ़ें