स्वच्छोत्सव
वेद भूषण त्रिपाठी
आओ जन-जन स्नेहभाव से
संकल्पित हो जाएँ।
प्रकृति पर्यावरण संरक्षित कर
मानवीय कल्याण कराएँ।
धरती शस्यश्यामला बनाकर
सुख मंगल वर्षाएँ।
सद्भावी सम्मान बढ़ाकर
स्वच्छोत्सव मनाएँ।
धरती अंबर जल जंगल के
हम रक्षक बन जाएँ।
अमृत जल स्रोत नदियाँ पर्वत
पावन पूज्य बनाएँ।
छरित वन-भूमि अमृत जलस्रोत
आच्छादित कराएँ।
पुनर्जीवन देकर उनकी गरिमा
यश वैभव लौटाएँ।
पंचनगर वन, वन प्रभाग में
कल्प-वृक्ष लगाएँ।
राष्ट्रीय उद्यान वन अभ्यारण्य
मिलकर हरित बनाएँ।
वनक्षेत्रअंतर्गत वन उपवन में
देव-वृक्ष लगाएँ।
हरे-भरे प्रफुल्लित वृक्षों को
वृक्ष-पातन से सदा बचाएँ।
आओ जन-जन स्नेहभाव से
संकल्पित हो जाएँ।
प्रकृति पर्यावरण संरक्षित कर
मानवीय कल्याण कराएँ।
धरती शस्यश्यामला बनाकर
सुख मंगल वर्षाएँ।
सद्भावी सम्मान बढ़ाकर
स्वच्छोत्सव मनाएँ।
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