कृष्ण भजन
कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'जय केशव कृष्ण मुरारी,
हे गिरिधर विपिन बिहारी...
तेरे नाम का नित मैं जाप करूँ,
और चरणों में तेरे ध्यान धरूँ,
ऐसी बुद्धि हो हमारी,
तुझे पूजे दुनिया सारी।
जय केशव कृष्ण मुरारी,
हे गिरिधर विपिन बिहारी...
मेरे नयनों बीच तेरी सूरत हो,
और मन मन्दिर में मूरत हो,
ऐसी दृष्टि हो हमारी,
तुझे पूजे दुनिया सारी।
जय केशव कृष्ण मुरारी
हे गिरिधर विपिन बिहारी...
बैकुण्ठ तेरा निवास है,
और कण-कण में तेरा वास है,
ऐसी चेतना हो हमारी,
तुझे पूजे दुनिया सारी।
जय केशव कृष्ण मुरारी,
हे गिरिधर विपिन बिहारी...
इस जग का तूने निर्माण किया,
और गीता का हमें ज्ञान दिया,
ऐसी धारणा हो हमारी,
तुझे पूजे दुनिया सारी।
जय केशव कृष्ण मुरारी,
हे गिरिधर विपिन बिहारी...
जब तक जियूँ तेरा ध्यान धरूँ,
और तुझपे ही विश्वास करूँ,
ऐसी भावना हो हमारी,
तुझे पूजे दुनिया सारी।
जय केशव कृष्ण मुरारी,
हे गिरिधर विपिन बिहारी.....
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