भारत में

01-03-2020

भारत में

आलोक कौशिक (अंक: 151, मार्च प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

भारत में पूर्ण सत्य 
कोई नहीं लिखता 
अगर कभी किसी ने लिख दिया 
तो कहीं भी उसका 
प्रकाशन नहीं दिखता 


यदि पूर्ण सत्य को प्रकाशित करने की 
हो गई किसी की हिम्मत 
तो लोगों से बर्दाश्त नहीं होता 
और फिर चुकानी पड़ती है लेखक को 
सच लिखने की क़ीमत 


भारतीयों को मिथ्या प्रशंसा 
अत्यंत है भाती 
आख़िर करें क्या लेखक भी 
यहाँ पुत्र कुपुत्र होते सर्वथा 
माता नहीं होती कुमाता 

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