वादा वफ़ा का
अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’
(पाबंद नज़्म)
बहर: मुतकारिब मुसद्दस सालिम
अरकान: फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
तक़्तीअ: 122 122 122
वो है मेरा वादा वफ़ा का
है वो तेरा वादा वफ़ा का
वो टूटा कभी बिखरा भी था
तिरा मेरा वादा वफ़ा का
मिरी जिद्द और थे इरादे
रहा निभता वादा वफ़ा का
तिरा जज़्बा था हर क़दम पर
रहा चलता वादा वफ़ा का
सनम जीत है इश्क़ की ये
ये तुम्हारा वादा वफ़ा का
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