रहमतों का वक़्त आया, मेरे मौला

15-04-2025

रहमतों का वक़्त आया, मेरे मौला

अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’ (अंक: 275, अप्रैल द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

बहर: रमल मुसद्दस सालिम
अरकान: फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
तक़्तीअ:    2122    2122    2122
 
रहमतों का वक़्त आया, मेरे मौला
मरहला इक सख़्त आया, मेरे मौला
 
बज़्मे मय यारों सजाई है ‘क़फ़स’ ने
फिर समा मद-मस्त आया, मेरे मौला
 
वो है नाराज़ो ख़फ़ा मेरे से देखो
खट्टा मीठा रब्त आया, मेरे मौला
 
है घनेरी राह आगे इस सफ़र में
कोई वीराँ दश्त आया, मेरे मैला
 
राह भी थक जाती होगी चलते चलते
लौट कर मैं पस्त आया, मेरे मौला

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