तुम मैं और तन्हा दिसंबर
अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’
ग़ैर-मुरद्दफ़ ग़ज़ल (रदीफ़ रहित)
बहर: रमल मुरब्बा सालिम
अरकान: फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
तक़्तीअ: 2122 2122
तुम मैं और तन्हा दिसंबर
और यह मौसम सितमगर
शाम जिस की राह देखी
ख़्वाब में आया उभरकर
शब अँधेरों में थी आयी
तारों की चादर पहनकर
दिल की बेचैनी की ख़ातिर
आया था कूचा टहलकर
इस मोहब्बत में ‘क़फ़स’ अब
चीरता है दिल सितमगर
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