सुन यह कहानी तेरी है
अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’
बहर: रज्ज़ मुरब्बा सालिम
अरकान: मुसतफ़इलुन मुसतफ़इलुन
तक़्तीअ: 2212 2212
सुन यह कहानी तेरी है
हाँ बस बयानी मेरी है
सर चढ़ के बोला करती है
क्या शय जवानी तेरी है
पागल बना के रक्खा है
तौबा जवानी तेरी है
तौबा के बोला था ‘क़फ़स’
हाँ खुब कहानी तेरी है
आना था वो आ ही गए
अब शब सुहानी मेरी है
बाँधा किया सबको ‘क़फ़स’
क्या खुब बयानी तेरी है