तल्ख़ लहजे में हैं मीठी बातें
अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’
(पाबंद नज़्म)
बहर: मतदारक मुसम्मन महज़ोज़
अरकान: फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़े
तक़्तीअ: 212 212 212 2
तल्ख़ लहजे में है मीठी बातें
नर्म नाज़ुक सी वो प्यारी बातें
ज़ाइक़े सारे हैं उस ज़बां पर
तीखी है फीकी ओ खारी बातें
गुफ़्तगू सब है जो रातों वाली
साथ दिन भर मेरे चलती बातें
भूला बिसरा हूँ मैं आज लेकिन
याद उसे है बहुत सारी बातें
चीर देतीं है क़ल्ब ए 'क़फ़स' वो
ग़र कसैली ओ ज़हरीली बातें
क़ल्ब= हृदय