ख़ुशियों का दिन है और गले लगना सौग़ात है
इस ईद उल-फ़ित्र पर मेरी उससे मुलाक़ात है
सुख-शांति और बरक्कत की दुआ माँगी होगी
उसके लिए मेरी भी ख़ुदा से यही इल्तिजात है
बस यह रिवायत चली आई है ईद ब ईद यहाँ
आज फितरा, भाई-चारा, मेलजोल की बात है
मेरे मौला मेरा रब्बा हे भगवान मैं क्या करूँ
देख लो आज ईद है और वो मुझ से नाराज़ है
तकते तकते थक जातीं है सब आँखें 'क़फ़स'
जाने क्यों छुपता छुपाता आता ईद पर चाँद है
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