तुम हो कहाँ, कहाँ हो तुम

01-05-2025

तुम हो कहाँ, कहाँ हो तुम

अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’ (अंक: 276, मई प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बहर: रज्ज़ मुरब्बा मतवी मख़बोन
अरकान: मुफ़तइलुन मुफ़ाइलुन
तक़्तीअ: 2112    1212
  
तुम हो कहाँ, कहाँ हो तुम
ख़ुश रहो तुम जहाँ हो तुम
 
ऐसे  ज़हन पे छाये तुम
देखूँ  जहाँ, वहाँ हो तुम
 
हो निहाँ दिल में तुम मिरे
हाँ यहाँ, बस यहाँ  हो तुम
 
याद लहू में घुल मिरे
अब रगों में रवाँ हो तुम
 
मौसम ए दौर ए उम्र में
कोई रुकी ख़िज़ाँ हो तुम
 
याद तुम्हें दिला दूँ मैं
अब भी मिरा जहां हो तुम

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