तेरी याद
संजय श्रीवास्तव
चाँदनी जब भी तेरी ज़ुल्फ़ों से बिखर कर जाती है,
स्याह रात की रूह तक रौशनी में नहा जाती है।
तेरी पलकों की छाँव में मिलता है सुकून दिल को,
जैसे तपती हुई धरती पर बारिश उतर जाती है।
तू जो देखे तो हर दर्द भी मुस्कुराता है मेरा,
तेरी निगाहों में जैसे ज़माने की दवा समा जाती है।
तेरे लबों की हँसी से महकता है गुलशन सारा,
तेरी बातों में जैसे बहारें भी ठहर जाती हैं।
तेरे क़दमों की आहट से जागे हैं ख़्वाब मेरे,
आँखें नींद से पहले तेरी यादें से भर भर जाती है।
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