गीत मेरे जब ख़्वाबों में
संजय श्रीवास्तव
गीत मेरे जब ख़्वाबों में आएँगे प्यार जताने को
आकर के मेरे ख़्वाबों में तुम सुर गीतों को दे जाना
गीत मेरे जब ख़्वाबों में आएँगे तुम्हें गुदगुदाने को
छूकर अपने होंठों से इनको रस प्रेम का घोल जाना
गीत मेरे जब ख़्वाबों में आएँगे प्यार जताने को
आकर के मेरे ख़्वाबों में तुम सुर गीतों को दे जाना
न जाने प्रियतम मेरा तुमसे किन जन्मों का है नाता
साथ तेरा जब तक ना हो तो मुझको कुछ नहीं भाता
गहराइयों से हृदय की अपने चाहा है तुमको ऐसे
गहराइयों से हृदय की अपने चाहा है तुमको ऐसे
बेसुध रहता हूँ तेरे प्रेम में लोग कहने लगे हैं दीवाना
गीत मेरे जब ख़्वाबों में आएँगे प्यार जताने को
आकर के मेरे ख़्वाबों में तुम सुर गीतों को दे जाना
दुख और विषाद में तुमने पल-पल साथ निभाया है
जीवन जीना किसको कहते हैं पग-पग पाठ पढ़ाया है
गहराइयों में हृदय की मेरे कुछ ऐसे रची-बसी हो तुम
गहराइयों में हृदय की मेरे कुछ ऐसे रची बसी हो तुम
गहरे समंदर में जैसे बंद सीप में मोती का मिल जाना
गीत मेरे जब ख़्वाबों में आएँगे प्यार जताने को
आकर के मेरे ख़्वाबों में तुम सुर गीतों को दे जाना
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- सांस्कृतिक आलेख
-
- ऋग्वेद का नासदीय सूक्त और ब्रह्मांड की उत्पत्ति
- ऋतुराज बसंत और वसंत पंचमी
- ग्रहों की वक्रीय गति: एक अध्ययन
- दीपावली का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय पक्ष
- दीपावली: पौराणिक और ऐतिहासिक व्याख्या
- पितृ पक्ष का वैज्ञानिक पक्ष और चंद्रमा
- रंगों का महापर्व होली
- वैदिक ज्योतिष और शिक्षा
- श्रावण मास और महादेव
- सूर्य का उत्तरायण और मकर संक्रांति
- कविता
- गीत-नवगीत
- विडियो
-
- ऑडियो
-