हस्ताक्षर

15-09-2024

हस्ताक्षर

संजय श्रीवास्तव (अंक: 261, सितम्बर द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

माँ के हाथों का हस्ताक्षर 
देखो कच्ची मिट्टी से गढ़ा गया हूँ
उनकी आँखों का तारा 
सुदूर पूर्व से उदित हुआ हूँ 
 
न जाने कितने कष्टों को झेलकर
नया किरदार दिया है मुझको 
त्याग तपस्या और बलिदान से 
आकार नया दिया है मुझको 
 
माँ के अहसानों की क़ीमत 
क्या कोई कभी चुका पाएगा 
सात जन्म भी लेगा फिर भी 
उन अहसासों को न छू पाएगा
 
रात रात भर जागी है वह 
अपना दूध पिलाया है 
मेरी ख़ुशियों की ख़ातिर 
जीवन अपना जलाया है
 
तब कहीं जाकर इंसानों की 
श्रेणी में आ पाया हूँ 
जीवन कैसे जीते हैं और 
सच्चाइयों को समझ पाया हूँ
 
सच्चाइयों को समझ पाया हूँ। 

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