ऋणी रहेगा भारत देश
आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’
विजय दिवस कारगिल युद्ध का वर्णन करता आज
वीर जवानों की गाथा निश्चय यह सुने यह सभ्य समाज
पाकिस्तानी गद्दारों की यही एक रीत पुरानी है
छल से हरदम काम लिया है बात सभी ने मानी है
ऐसे ही कुछ दग़ा किया लद्दाख कारगिल चोटी में
हिंद-फौज ने काट-काट कर बिखरा दिया बोटी-बोटी में
देश के रक्षा के ख़ातिर कुछ सैनिक भी बलिदान हुए थे
चढ़ा मस्तक रूपी पुष्प भारत माँ को सम्मान दिये थे
विक्रम बत्रा के झपट्टों से कायर सियार सब भाग गए थे
जो बचे-कुचे थे सरहद पे वो जान की भिक्षा माँग रहे थे
वीर शहीदों के शहादत कारण मन में है ये क्लेश
युगों-युगों तक ऋणी रहेगा मेरा भारत देश . . .॥
धन्य धारा यह भारत भूमि है धन्य-धन्य इसकी माटी
धन्य कारगिल भूमि हमारी धन्य-धन्य है वह घाटी
तोप के मुँह में वीरों ने अपने आप को झोंक दिया
फिर बंदूक भी धीरे पड़ गई छाती से ही रोक दिया
पाकिस्तानी दल में फिर एक ऐसा हाहाकार मचा
भागो-भागो छुपो कहीं तो भाई अपनी ले जा जान बचा
भेड़ सियारो को वीरों ने रौंद के मिट्टी बना दिया
पाकिस्तानी फ़ौजों को कुछ को तो बंधक बना लिया
देश की रक्षा हित मिट जाओ केवल यह संदेश
युगों युगों तक ऋणी रहेगा मेरा भारत देश . . .॥
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