आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 007
आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’
घर की रौनक़ हैं अपने अभिमान की तरह होती हैं
लड़कियाँ सचमुच भगवान के वरदान की तरह होती हैं
सब के दिलों में सहज ही बना लेती हैं जगह
घर में आये गये एक रोज़ के मेहमान की तरह होती हैं॥
घर की रौनक़ हैं अपने अभिमान की तरह होती हैं
लड़कियाँ सचमुच भगवान के वरदान की तरह होती हैं
सब के दिलों में सहज ही बना लेती हैं जगह
घर में आये गये एक रोज़ के मेहमान की तरह होती हैं॥