आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’– मुक्तक 012
आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’
शिक्षण प्रशिक्षण अध्ययन अध्यापन ज्ञान विज्ञान कविता कला
गुरुजन से हमको ये भाषा ये शैली का वरदान जाने ना क्या-क्या मिला
सुर ताल संगीत जीवन में नवगीत एक बात तुमसे मैं कहता हूँ मन मीत
ऐसे मिलें यदि सफ़र में मुसाफ़िर तो चलता रहेगा सदा सिलसिला॥
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