आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 002
आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’
सच बोलने लगा हूँ तो मिटा कर मुझे कहानी कर दे
निर्मल आनंद कर दे, मुझे बहता हुआ पानी कर दे
मिट्टी की देह मिट्टी से लिपटकर अलंकृत हो जाए
ऐ ज़िन्दगी मुझ पर इतनी तो मेहरबानी कर दे॥
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता-मुक्तक
-
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 001
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 002
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 003
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 004
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 005
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 006
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 007
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 008
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 009
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’– मुक्तक 010
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’– मुक्तक 011
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’– मुक्तक 012
- कविता
- किशोर हास्य व्यंग्य कविता
- किशोर साहित्य कविता
- कविता - क्षणिका
- विडियो
-
- ऑडियो
-