आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 003
आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’
मिर्ज़ा ग़ालिब मीर की ग़ज़ल नहीं होने वाले
दिल दरिया है पर आँख का काजल नहीं होने वाले
जितने दिन साथ हूँ पढ़ लो किताबों की तरह मुझको
चल दिये छोड़ तुमको तो प्रश्न ये हल नहीं होने वाले॥
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता-मुक्तक
-
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 001
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 002
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 003
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 004
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 005
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 006
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 007
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 008
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 009
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’– मुक्तक 010
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’– मुक्तक 011
- आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’– मुक्तक 012
- कविता
- किशोर हास्य व्यंग्य कविता
- किशोर साहित्य कविता
- कविता - क्षणिका
- विडियो
-
- ऑडियो
-