आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 005

01-06-2024

आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 005

आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ (अंक: 254, जून प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

बुरे व्यवहार गंदे आचरण का अंत करते हैं 
सदा सुख शान्ति का आशीष दे गुणवंत करते हैं 
तुम्हें धर्मार्थ हित कुछ ज्ञान निश्चय मिल ही जायेगा
अलौकिक पुण्य भारत के ये मेरे संत करते हैं॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता-मुक्तक
कविता
किशोर हास्य व्यंग्य कविता
किशोर साहित्य कविता
कविता - क्षणिका
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में