माता अभिमान है
आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’
समाहित विश्व की नर्मी गुणों की खान है माता
सभी बच्चों के दिल की रूह है अभिमान है माता
अगर माँ ख़ुश रहे हो स्वस्थ तो किस बात की चिंता
मेरे घर की है रौनक़, है ख़ुशी, मुस्कान है माता॥
बड़ी मुश्किल ही कितनी हो वो बेड़ा पार करती है
न जाने क्यों मेरी माँ मुझपे ये उपकार करती है
मेरा नाता तो शायद माँ से पिछले ही जनम से है
इसी कारण वो शायद मुझसे इतना प्यार करती है॥
गाँव की रौनक़ मिट्टी की ख़ुश्बू याद आती है
मुश्किलों में बुज़ुर्गों की दुआएँ याद आती हैं
वैसे तो मुश्किलों से रिश्ता पुराना है अपना
जब बेचैन हो जाता हूँ तो माँ याद आती है॥
माँ नहीं होगी तो भला कौन रहेगा
मेरे माँ के जैसे मुझे प्यार कौन करेगा
माँ तो एक ममतामयी मूरत है दोस्तों
भला माँ के सिवा राजा बेटा कौन कहेगा॥
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