आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’–क्षणिकाएँ– माँ

15-05-2024

आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’–क्षणिकाएँ– माँ

आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ (अंक: 253, मई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

1.
ऐ टूटते हुए तारे 
दुआ क़ुबूल तो करो मेरी 
मेरी माँ को मेरे सामने 
सलामत सदा रखना। 
 
2.
हँसते मुस्कुराते चेहरे 
आँखों की नमी देखी है 
परदेश में सब कुछ है माँ 
बस तेरी कमी देखी है। 
 
3.
उजाले को गुमान था 
अपनी कलाकारी पर 
माँ के आँखें खोलते ही 
वह भी फीका पड़ गया। 
 
4.
अभी बचपन है मेरा 
पुरानी हिमाक़त नहीं छोड़ पाया 
अब भी रूठ जाता हूँ माँ से 
वो आदत नहीं छोड़ पाया। 
 
5.
मातृ दिवस पर इसी तरह 
यदि यूँ ही पर्व मनायेंगे 
सच कहता हूँ एक दिन 
वृद्धाश्रम में ताले लग जायेंगे। 

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