आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 001 

15-05-2024

आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 001 

आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ (अंक: 253, मई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

तेरी हसरत तेरा यौवन दिलों का तार लिखना है
वही उलझन वही यादें मुझे हर बार लिखना है
तुम्हारी मुस्कुराहट ने मुझे आकर के ये बोला
उठो जागो तुम्हें कवि सा विरह शृंगार लिखना है॥

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