आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 001
आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’
तेरी हसरत तेरा यौवन दिलों का तार लिखना है
वही उलझन वही यादें मुझे हर बार लिखना है
तुम्हारी मुस्कुराहट ने मुझे आकर के ये बोला
उठो जागो तुम्हें कवि सा विरह शृंगार लिखना है॥
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