आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 004
आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’
परशुराम चाणक्य दधीचि रामकृष्ण के हम वंशज हैं
राजगुरु आज़ाद तिलक के तेवर हैं केसरिया ध्वज हैं
विप्र जानों के रहते तक ये शान सुरक्षित है भारत की
इसीलिए रण क्षेत्र में बहने वाली हम तूफ़ानी रज हैं॥
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