आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 004

15-05-2024

आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ – मुक्तक 004

आनंद त्रिपाठी ‘आतुर’ (अंक: 253, मई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

परशुराम चाणक्य दधीचि रामकृष्ण के हम वंशज हैं
राजगुरु आज़ाद तिलक के तेवर हैं केसरिया ध्वज हैं 
विप्र जानों के रहते तक ये शान सुरक्षित है भारत की 
इसीलिए रण क्षेत्र में बहने वाली हम तूफ़ानी रज हैं॥

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता-मुक्तक
कविता
किशोर हास्य व्यंग्य कविता
किशोर साहित्य कविता
कविता - क्षणिका
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में