एक झूठा दिलासा

15-02-2024

एक झूठा दिलासा

जयचन्द प्रजापति ‘जय’ (अंक: 247, फरवरी द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

टोनी के पापा चले गए इस संसार से जब तीन साल का था टोनी। 

सबके पापा हैं। मेरे पापा कहाँ हैं। आते नहीं हैं। रामू के पापा तो चले गए थे वो तो आ गए। मिठाइयाँ लाए थे। टॉफ़ियाँ लाए थे। मेरे पापा पता नहीं कब आयेंगे। आयेंगे तो ख़ूब बात करूँगा। पूछूँगा जल्दी क्योंं नहीं आते हो। जाया करिए पापा। जल्दी आ जाया करिए। बहुत याद आती हैं। 

मम्मी के पास जाकर टोनी मम्मी से कहता है, ”मम्मी, पापा कब आयेंगे। तुम तो कहती थी। पापा कमाने गए हैं। ख़ूब पैसा लायेंगे। टाफियाँ लायेंगे। सबके पापा बहुत अच्छे हैं। पापा हम लोगों को याद नहीं करते हैं। गंदे पापा हैं।”

“नहीं बेटे, छुट्टी नहीं है। छुट्टी मिलेगी। आ जायेंगे। तेरे पापा तुम्हें याद करते हैं। कहते हैं। आयेंगे तो टोनी से ख़ूब बात करेंगे। टोनी मेरा बड़ा हो गया है। ख़ूब टॉफ़ियाँ लायेंगे . . .” मम्मी ने बेटे को झूठा दिलासा देते हुए कहा। माहौल भयानक पीड़ा का एहसास कराने वाला हो गया था। 

“मम्मी तुम रो रही हो, पापा आयेंगे तब क्यों रो रही हो। टॉफ़ियाँ पापा लायेंगे तो तुमको ढेर सारी टॉफ़ियाँ पापा से कह कर दिला दूँगा,” टोनी मम्मी को चुप कराते हुए बोला। 

माँ टोनी को खींच कर अपने बाँहों में भर कर सिसकने लगी। टोनी भी माँ को रोते देख कर रोने लगा। ग़मगीन माहौल हो गया था। वेदना मुखर हो गई थी। चेतना शून्य हो गई थी। करुण बहाव झर-झर बह रहे थे। रुदन बेधता हुआ हृदय को चीर कर रख दिया था। झूठे दिलासे दिलाते-दिलाते माँ टूट गई। 

“टोनी अब तेरे पापा कभी नहीं आयेंगे। तेरे पापा भगवान के घर चले गए हैं।”

“मम्मी, मैं भगवान से कह दूँगा कि मेरे पापा को भेज दो। भगवान भेज देंगे। नहीं भेजेंगे तो बड़ा हो जाऊँगा तो भगवान को मारूँगा, मम्मी!”

बेटे के इस भोलेपन की बातें सुनकर माँ बेटे को देखती रह गई। अनाथ टोनी को माँ थपकियाँ देने लगी। आसमान की तरफ़ एकटक निहारने लगी। भावना शून्य हो गई। एक ख़ामोश पल हो गया था। प्रकृति भी मौन हो गई थी। 

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