डॉ. शैलजा सक्सेना
जन्म : मथुरा (उ.प्र.)
शिक्षा : दिल्ली विश्विद्यालय से पी. एच.डी. (शोधकार्य - "स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी काव्य में युद्ध की भूमिका") , एम. फिल. (शोधकार्य - "कामायनी की आलोचनाओं की समीक्षा"), एम.ए. तथा बी.ए. (ऑनर्स) में दिल्ली विश्वविद्यालय में सर्वोच्च स्थान तथा स्वर्ण पदक
संप्रति : जानकी देवी कॉलेज, (दिल्ली विश्विद्यालय) में 1989 से 1998 तक अध्यापन करने के पश्चात विदेश प्रवास किया। आजकल टोरोंटो (कनाडा) में निवास और यहाँ के हिन्दी साहित्य समाज में पूर्ण रूप से व्यस्त।
टोरोंटो में मानव संसाधन प्रबंधक के पद पर कार्यरत।
प्रकाशन :
- "क्या तुमको भी ऐसा लगा? (काव्य-संग्रह - २०१४) प्रकाशक : हिन्दी राइटर्स गिल्ड (कैनेडा), अयन प्रकाशन (भारत)
- सारिका, पाँचजन्य, समाज कल्याण, तुलसी, वामा, आदि अनेक पत्रिकाओं में कहानी, कविताएँ तथा लेखों का प्रकाशन।
- "अष्ठाक्षर" नाम के संग्रह में अन्य सात कवियों के साथ आठ कविताओं का संकलन।
- श्विद्यालय की कई पत्रिकाओं में लेख तथा संपादन कार्य। एक कविता संकलन, कहानी संग्रह शीघ्र ही प्रकाश्य।
पुरस्कार : सरस्वती पुरस्कार तथा मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार
विशेष : अमेरिका में "हिन्दी, भारतीय इतिहास, संस्कृति, धर्म तथा भाषा" पर कार्यशाला का संचालन किया तथा हिन्दी और भारतीय संस्कृति के अनेक कार्यों में भाग लिया। "हिन्दी साहित्य सभा, कनाडा" की भूतपूर्व उपाध्यक्ष।
"साहित्य कुंज" में साहित्यिक परामर्श सहयोग।
"हिन्दी राइटर्स गिल्ड" की संस्थापक निदेशिका।
सम्पर्क : shailjasaksena@gmail.com
लेखक की कृतियाँ
- लघुकथा
- साहित्यिक आलेख
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- अंतिम अरण्य के बहाने निर्मल वर्मा के साहित्य पर एक दृष्टि
- अमृता प्रीतम: एक श्रद्धांजलि
- इसी बहाने से - 01 साहित्य की परिभाषा
- इसी बहाने से - 02 साहित्य का उद्देश्य - 1
- इसी बहाने से - 03 साहित्य का उद्देश्य - 2
- इसी बहाने से - 04 साहित्य का उद्देश्य - 3
- इसी बहाने से - 05 लिखने की सार्थकता और सार्थक लेखन
- इसी बहाने से - 06 भक्ति: उद्भव और विकास
- इसी बहाने से - 07 कविता, तुम क्या कहती हो!! - 1
- इसी बहाने से - 08 कविता, तू कहाँ-कहाँ रहती है? - 2
- इसी बहाने से - 09 भारतेतर देशों में हिन्दी - 3 (कनाडा में हिन्दी-1)
- इसी बहाने से - 10 हिन्दी साहित्य सृजन (कनाडा में हिन्दी-2)
- इसी बहाने से - 11 मेपल तले, कविता पले-1 (कनाडा में हिन्दी-3)
- इसी बहाने से - 12 मेपल तले, कविता पले-2 (कनाडा में हिन्दी-4)
- इसी बहाने से - 13 मेपल तले, कविता पले-4 समीक्षा (कनाडा में हिन्दी-5)
- कहत कबीर सुनो भई साधो
- जैनेन्द्र कुमार और हिन्दी साहित्य
- महादेवी की सूक्तियाँ
- साहित्य के अमर दीपस्तम्भ: श्री जयशंकर प्रसाद
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
- कविता
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- अतीत क्या हुआ व्यतीत?
- अनचाहे खेल
- अभी मत बोलो
- अहसास
- आसान नहीं होता पढ़ना भी
- इंतज़ार अच्छे पाठक का
- एक औसत रात : एक औसत दिन
- कठिन है माँ बनना
- कविता पाठ के बाद
- कोई बात
- कोरोना का पहरा हुआ है
- क्या भूली??
- गणतंत्र/ बसन्त कविता
- गाँठ में बाँध लाई थोड़ी सी कविता
- घड़ी और मैं
- जीवन
- जेठ की दोपहर
- तुम (डॉ. शैलजा सक्सेना)
- तुम्हारा दुख मेरा दुख
- तुम्हारे देश का मातम
- पेड़ (डॉ. शैलजा सक्सेना)
- प्रतीक्षा
- प्रश्न
- प्रेम गीत रचना
- बच्चा
- बच्चा पिटता है
- बच्चे की हँसी
- बोर हो रहे हो तुम!
- भरपूर
- भाषा की खोज
- भाषा मेरी माँ
- माँ
- मिलन
- मुक्तिबोध के नाम
- युद्ध
- युद्ध : दो विचार
- ये और वो
- लिखने तो दे....
- लौट कहाँ पाये हैं राम!
- वो झरना बनने की तैयारी में है
- वो तरक्क़ी पसंद है
- वो रोती नहीं अब
- शोक गीत
- सपनों की फसल
- समय की पोटली से
- साँस भर जी लो
- सात फेरे
- सूर्योदय
- स्त्री कविता क्या है
- हाँ, मैं स्त्री हूँ!!
- हिमपात
- ख़ुशफहमियाँ
- ग़लती (डॉ. शैलजा सक्सेना)
- पुस्तक समीक्षा
- पुस्तक चर्चा
- नज़्म
- कहानी
- कविता - हाइकु
- कविता-मुक्तक
- स्मृति लेख
- विडियो
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- फीजी में प्रकाशित कुछ हिन्दी की पुस्तकें
- डॉ. सुरेश ऋतुपर्ण जी से साक्षात्कार – फीजी का हिन्दी साहित्य और संस्कृति
- दलित साहित्य की चर्चा क्यों ज़रूरी है?- 1 सुशीला टाकभौरे जी से बातचीत
- दलित साहित्य की चर्चा क्यों ज़रूरी है? – 2 सुशीला टाकभौरे जी से बातचीत
- बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉक्टर हरीश नवल जी से एक मुलाक़ात
- हिन्दी चर्चा- राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय आयाम (लोकल से ग्लोबल)
- कविता का मंच बनाम मंच की कविता: एक बैठक प्रसिद्ध कवि श्री आलोक श्रीवास्तव जी के साथ - साहित्य के रंग
- आधे अधूरे का मंचन
- अनुवाद की चुनौतियाँ और ’समय की कसक’ पर संवाद - साहित्य के रंग
- स्त्री में कविता और कविता की स्त्रियाँ चर्चा में: प्रसिद्ध कवयित्री अनामिका - SAHITYA KE RANG
- विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच हिंदी: SAHITYA KE RANG
- कहानी की समझ और समझ के पैमाने: आलोचक डॉ.रोहिणी अग्रवाल से बातचीत - SAHITYA KE RANG @TAG TV
- कहानीकार डॉ. रोहिणी अग्रवाल और भुवनेश्वरी पांडे की कहानियों में स्त्री
- ‘कहानी और उपन्यास में भारतीय प्रवासी जीवन’ - साहित्य के रंग
- हाइकु के बारे में बातचीत
- ऑडियो
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