ये दौर याद आयेगा

15-11-2020

ये दौर याद आयेगा

संदीप कुमार तिवारी 'बेघर’ (अंक: 169, नवम्बर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

कहीं  पे  दूर  का मंज़र 
सफ़र मज़दूर का मंज़र 
अँधेरी  रात  में  चलती 
सड़क पे नूर का मंज़र 
सब कुछ तो ठीक हो जाएगा,
हाँ मगर ये दौर याद आयेगा!
 
बदलती नदी का मंज़र 
बदलते सभी का मंज़र 
नर्क के खान  से उभरी 
प्राकृतिक छवि का मंज़र
यह सब इंसां कहाँ भूल पायेगा 
तुम देखना, ये दौर याद आयेगा!
 
नया आसमान का मंज़र 
खेत-खलिहान का मंज़र 
दर्द के आह  से  निकली 
किसी मुस्कान का मंज़र 
वक़्त बीतता है बीत जाएगा।
हाँ मगर ये दौर याद आयेगा!

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