संदीप कुमार तिवारी - मुक्तक - 003
संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’छंद सवैया
211 /211/ 211/ 211/ .211/ 211/ 211/22
राम रमा मय जीवन में सब रामहि राम जपे जग सारा।
राम भये भव तारन ते तब राम हि नाम भये भवतारा।
राम सुनो मम दास बिना कब राम हि नाम भये उजियारा।
राम हरो सब पाप सदा हम नाम करे गुण गान तिहारा।