संदीप कुमार तिवारी - मुक्तक - 003

15-10-2021

संदीप कुमार तिवारी - मुक्तक - 003

संदीप कुमार तिवारी 'बेघर’ (अंक: 191, अक्टूबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

छंद सवैया 
 
211 /211/  211/ 211/ .211/ 211/ 211/22
 
राम रमा मय जीवन में सब रामहि राम जपे जग सारा।
राम भये भव तारन ते तब राम हि नाम भये भवतारा।
राम सुनो मम  दास  बिना कब राम हि नाम भये उजियारा। 
राम हरो सब पाप सदा हम नाम करे गुण गान तिहारा।

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