आँसू

संदीप कुमार तिवारी 'बेघर’ (अंक: 224, मार्च प्रथम, 2023 में प्रकाशित)

 

लाजवाब और हसीन आँसू
ग़म से बने ग़मगीन आँसू
स्वाद इनका हमसे पूछो
गरम-गरम नमकीन आँसू
 
कोई इनसे बच ना पाया 
सबका इसने दृग छलकाया
कभी अमीरी के घर छलके
कभी हुए हैं दीन आँसू
गरम-गरम नमकीन आँसू
 
सुबह से ले हैं खड़े बाज़ार
आँसू लो भाई आँसू लो
यौवन फूट रहा अभी इनमें
नये और कमसिन आँसू
गरम-गरम नमकीन आँसू
 
कोई साथ न देगा जब
आ के जी बहला देंगे
थके हुए तेरी साँसों को
सिसकी से सहला देंगे
ज़िंदगी के रंगमंच पर
अजब दिखाएँ सीन आँसू
गरम-गरम नमकीन आँसू

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