छोड़ो   कहने  को  सिर्फ़  बातें  हैं

15-03-2023

छोड़ो   कहने  को  सिर्फ़  बातें  हैं

संदीप कुमार तिवारी 'बेघर’ (अंक: 225, मार्च द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

2222/2212/22
 
छोड़ो   कहने  को  सिर्फ़  बातें  हैं।
दिल के मालिक ही दिल लगाते हैं।
 
उनकी  नज़रों  में   भी  नहीं  आते,
जिनको इस दिल में हम बसाते हैं।
 
हो  ही  जाता  है  छेद  फिर  कोई,
जब भी  कश्ती को हम बनाते  हैं।
 
मेरा   उजड़ा   है  घर   बहारों  का,
मेरे   गुलशन   के   फूल  काँटे  हैं।
 
उनको आदत  है कुछ जलाने की,
सो वो अब दिल  मेरा  जलाते  हैं।
 
हमको  भी  उनसे  जाम  है  पीना,
अपनी आँखों से  जो  पिलाते  हैं।
 
लाखों  उलझन में  आदमी  है जी,
लाखों किस्मत  को  आज़माते हैं।
 
हमने    सीखा   है   आइना   होना,
कोई    हालत    हो   मुस्कुराते  हैं।
 
सब   हो  जाएँगे  एक  दिन  ‘बेघर’
जाने फिर  सब  क्यूँ  घर बनाते हैं।

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