संदीप कुमार तिवारी - मुक्तक - 004

01-11-2021

संदीप कुमार तिवारी - मुक्तक - 004

संदीप कुमार तिवारी 'बेघर’ (अंक: 192, नवम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

212/2122/2122/2222/2122/1222
 
चाह की चाह है चाहूँ किसी को मैं चाहे कोई मुझे चाहनेवाला।
चाह के चाह पे चाहें लुटा दे  हो चाहों से चाह को चाहनेवाला।
चाह की चाह पे चाहें रहें  या हो चाहे ना चाह को चाहनेवाला,
चाह से चाह है  चाहे  जहाँ  हो  या चाहे कोई इसे चाहनेवाला।

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